प्रारंभिक जीवन
कंचन वर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में हुआ। उनका परिवार साधारण था, लेकिन उन्होंने बड़े सपने देखे। शिक्षा के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही गहरी थी। उन्होंने बी.एड और समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उनकी पढ़ाई के दौरान ही उनके मन में सिविल सेवा में जाने का विचार आया। उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा और सपनों को पूरा करने में हमेशा साथ दिया। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें आईएएस बनने का रास्ता दिखाया।
आईएएस बनने का सफर
कंचन वर्मा ने 2005 में सिविल सेवा परीक्षा पास की। यह सफलता उनके लिए बेहद खास थी। आईएएस बनने के बाद, उन्होंने अपनी ट्रेनिंग बरेली में 3 जून से 18 अगस्त 2007 तक की। ट्रेनिंग के दौरान, उन्होंने प्रशासन के कामकाज को बारीकी से सीखा। इसके बाद, उन्हें सीतापुर जिले में 19 अगस्त 2007 को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात किया गया। यहां उन्होंने लगभग एक साल तक काम किया और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
प्रशासनिक करियर की शुरुआत
26 अगस्त 2008 को उन्हें नोएडा में चीफ डवलपमेंट ऑफिसर के पद पर तैनात किया गया। यहां उन्होंने 16 जून 2009 तक अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद, उन्हें बलरामपुर जिले में जिला मजिस्ट्रेट बनाया गया। बलरामपुर में रहते हुए उन्होंने प्रशासनिक सुधारों पर जोर दिया। उनके नेतृत्व में कई परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी हुईं।
जिलाधिकारी के रूप में उत्कृष्ट कार्य
कंचन वर्मा को 2 मई 2010 को भदोही जिले का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया। भदोही में उन्होंने शिक्षा और विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। 2 जुलाई 2011 को उनका तबादला श्रावस्ती जिले में हुआ। श्रावस्ती में उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए अनूठी पहल की। उन्होंने शिक्षकों की उपस्थिति और शिक्षण गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कई सख्त कदम उठाए। बच्चों को खुद पढ़ाना उनकी खासियत थी।
शिक्षा में सुधार के प्रयास
फतेहपुर जिले में कंचन वर्मा ने परिषदीय स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने का काम किया। उन्होंने स्कूलों का निरीक्षण किया और शिक्षकों की गैरहाजिरी पर सख्ती दिखाई। उन्होंने शिक्षकों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टियां जारी कीं और शिक्षा में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया। बच्चों को गणित और अंग्रेजी पढ़ाना उनकी खासियत थी। उनके इन प्रयासों से स्कूलों की स्थिति में काफी सुधार हुआ।
परियोजनाओं में सफलता
कंचन वर्मा ने एक नदी और झील के पुनरुद्धार की परियोजना में सफलता हासिल की। इस परियोजना को कॉमनवेल्थ पुरस्कार की प्रतिस्पर्धा में शामिल किया गया। उनके काम की सराहना करते हुए उन्हें पीएम अवॉर्ड से नवाजा गया। यह पुरस्कार उनके समर्पण और मेहनत का प्रमाण है।
प्रधानमंत्री का उत्कृष्टता पुरस्कार 2013-14
फतेहपुर जिले में जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के रूप में, कंचन वर्मा ने उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने जिले की सुखी हुई तिथौरा झील और ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित किया। ससुर खदेरी नदी, जो तिथौरा झील से निकलती है, समय के साथ सूख चुकी थी। लोग नदी के तल में खेती करने लगे थे। यह नदी लगभग 46 किलोमीटर लंबी थी। कंचन वर्मा ने 38 किलोमीटर खुदाई करवाई। इसके परिणामस्वरूप झील अपने पुराने रूप में लौट आई और नदी 12 से 45 मीटर चौड़ाई में बहने लगी। इस काम के लिए उन्हें प्रधानमंत्री का उत्कृष्टता पुरस्कार मिला।
अन्य प्रशासनिक पद
कंचन वर्मा को 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम विभाग का विशेष सचिव बनाया गया। इसके साथ ही, उन्हें एनआरआई विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई। उनके काम की प्रशंसा हर जगह हुई। 2016 में, उन्हें चार विभागों का विशेष सचिव बनाया गया। उनकी कार्यशैली और निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें एक ईमानदार और सक्षम अधिकारी के रूप में स्थापित किया।
मिर्जापुर में योगदान
2016 में, कंचन वर्मा को मिर्जापुर जिले का जिलाधिकारी नियुक्त किया गया। यहां उन्होंने शिक्षा और स्वच्छता के क्षेत्र में अद्भुत काम किया। उन्होंने ईंट भट्टों पर शौचालय बनाने का प्रावधान किया और खुले में शौच से मुक्ति के लिए अभियान चलाया।
गाजियाबाद में कार्य
कंचन वर्मा को गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने गाजियाबाद में कई विकास परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया। विदेशी प्रशिक्षण के बाद, उन्हें फिर से गाजियाबाद में तैनात किया गया। उनकी कार्यक्षमता और समर्पण ने उन्हें एक कुशल प्रशासक के रूप में स्थापित किया।
वर्तमान भूमिका
कंचन वर्मा को वर्तमान में महानिदेशक, स्कूल शिक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह उनके करियर का 21वां तबादला है। उन्होंने हर जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी और लगन से निभाया है। उनकी कार्यशैली युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा है।